Sunday, 14 April 2019

Treatment of migraine by divine energy

Treatment of migraine by divine energy

- First 7 teaspoon black salt on a core paper. Now let the black thread on it. Now let the pair reverse 49 times from the top of your head. Then put the pair in a drain. Then get home back. Wash the face and hand. Now 10 times Om. Now take the divine healing on your head  from divine healer. How much old disease will be fine.

Monday, 8 April 2019

जानिये आपके शरीर का कौनसा चक्र बिगडा हुवा है एवं उस को ठीक कैसे करे

 जानिये आपके शरीर का कौनसा चक्र  बिगडा हुवा है  एवं उस को ठीक कै
से करे 🔯 7 Chakra's of Our Body🔆

(1) मूलाधार चक्र
 - गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला 'आधार चक्र' है । आधार चक्र का ही एक दूसरा नाम मूलाधार चक्र भी है। इसके बिगड़ने से वीरता, धन ,समृधि ,आत्मबल ,शारीरिक बल ,रोजगार ,कर्मशीलता,घाटा,असफलता  रक्त  एवं हड्डी के रोग, कमर व पीठ में दर्द, आत्महत्या के  बिचार ,डिप्रेशन  ,केंसर अदि होता है।

(2) स्वाधिष्ठान चक्र
- इसके बाद स्वाधिष्ठान चक्र लिंग मूल में है । उसकी छ: पंखुरियाँ हैं । इसके बिगड़ने पर क्रूरता,गर्व,आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, नपुंसकता ,बाँझपन ,मंद्बुधिता ,मूत्राशय  और गर्भाशय  के रोग ,अध्यात्मिक  सिद्धी में बाधा   बैभव के आनंद में कमी  अदि होता है।

(3) मणिपूर चक्र
 - नाभि में दस दल वाला मणिचूर चक्र है । इसके इसके बिगड़ने पर तृष्णा, ईष्र्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह, अधूरी सफलता ,गुस्सा ,चिंचिरापन, नशाखोरी,तनाव ,शंकलुप्रबिती,कई तरह की बिमारिया ,दवावो का  काम न करना ,अज्ञात भय ,चहरे का तेज गायब ,धोखाधड़ी, डिप्रेशन,उग्रता ,हिंशा,दुश्मनी ,अपयश ,अपमान ,आलोचना ,बदले की भावना ,एसिडिटी ,ब्लडप्रेशर,शुगर,थाईरायेड,सिरएवं शारीर  के दर्द,किडनी ,लीवर ,केलोस्ट्राल,खून का रोग आदि  इसके बिगड़ने का मतलब  जिंदगी  का  बिगड़ जाना ।

(4) अनाहत चक्र
- हृदय स्थान में अनाहत चक्र है । यह बारह पंखरियों वाला है । इसके बिगड़ने पर लिप्सा, कपट, तोड़ -फोड़, कुतर्क, चिन्ता,नफरत ,प्रेम में असफलता ,प्यार में धोखा ,अकेलापन ,अपमान, मोह, दम्भ, अपनेपन में कमी ,मन में उदासी , जीवन में बिरानगी ,सबकुछ होते हुए भी बेचनी, छाती में दर्द ,साँस लेने में दिक्कत ,सुख का अभाव, ह्रदय  व फेफड़े के रोग, केलोस्ट्राल में बढ़ोतरी अदि ।

(5) विशुद्धख्य चक्र -
कण्ठ में विशुद्धख्य चक्र यह सरस्वती का स्थान है । यह सोलह पंखुरियों वाला है। यहाँ सोलह कलाएँ सोलह विभूतियाँ विद्यमान है, इसके बिगड़ने पर वाणी दोष, अभिब्यक्ति में कमी ,गले ,नाक,कान,दात, थाई रायेड, आत्मजागरण में  बाधा आती है।

(6) आज्ञाचक्र -
भू्रमध्य में आज्ञा चक्र है, यहाँ '?' उद्गीय, हूँ, फट, विषद, स्वधा स्वहा, सप्त स्वर आदि का निवास है । इसके बिगड़ने पर एकाग्रता ,जीने की चाह,निर्णय की सक्ति, मानसिक सक्ति, सफलता की राह आदि इसके बिगड़ने  मतलब  सबकुछ  बिगड़  जाने का  खतरा ।                                                     
(7) सहस्रार चक्र -
सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है । शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथियों से सम्बन्ध रैटिकुलर एक्टिवेटिंग सिस्टम का अस्तित्व है । वहाँ से जैवीय विद्युत का स्वयंभू प्रवाह उभरता है ।इसके बिगड़ने पर  मानसिक बीमारी, अध्यात्मिकता का आभाव ,भाग्य  का साथ न देना अदि ।

🔆अपने  चक्रों और अन्य के चक्र को ठीक करे🔆

चक्रों के जाग्रत होने से व्‍यक्‍ति के पूरे व्‍यक्‍तित्‍व में सकारात्‍मक प्रभाव देखने को मिलता है।अपने चक्र को जगाने का सब से आसान तरिका है divine healing

Sunday, 7 April 2019

Divine energy दिव्य ऊर्जा के लाभ

Divine energy  दिव्य ऊर्जा

दिव्य ऊर्जा का लाभ
1  किसी का  भी शारीरिक रोग ठीक किया जा सकता है।
2. किसी का  भी मानसिक रोग को बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है।
3. इसके माध्यम से किसी भी प्रकार का डर या फोबिया दूर किया जा सकता है।
4.  इससे व्यक्ति का विकास कर सफलता अर्जित की जा सकती है।
5.दूर बैठे किसी भी व्यक्ति की किसी भी खराब हालात में सहायता की जा  सकती है।
6. आभामंडल को clean किया जा सकता है 
7. अभिब्यक्ति   की योग्यता  बढाई  जा  सकती है । 
8. इसके माध्यम से किसी की भी जान बचाई जा सकती है।
9. इसके माध्यम से लोगों का दु:ख-दर्द दूर किया जा सकता है।
10. इसके माध्यम से खुद की बुरी आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है।
11. इसके माध्यम से भरपूर आत्मविश्वास और निडरता हासिल की जा सकती है।
12.किसी को भी  नशे की लत से मुक्ति दिलाई जा सकती है ।
13.अपने बयक्तित्व  को प्रभावशाली  व आकर्षण वान बना सकते है ।
14. स्मरण शक्ति तीब्र  की जा सकती है  ।                           
15.गृह क्लेश  समाप्त किया जा सकता है ।
16.किसी को भी अपने अनुकूल  किया जा सकता है ।
17. संबंधो में  आपार प्रगाढ़ता लायी जा सकती है ।
18.अनिद्रा व   डिप्रेशन  से  पूरी तरह   छुट कारा पाया जा सकता है   ।   
 19. एकग्रत्ता    बढाई       जा सकती है  ध्यान की गहराईयों मे जा सकते है